BNEI BARUCH WORLD CENTER FOR KABBALAH STUDIES

बने बरूख़ के बारे में

ई़ज्‍राइल में, बने बरूख़ कबला बोध को सम्पूर्ण विश्‍व के साथ बाँटते हुए कबालियों का सबसे विशाल समूह है। अध्ययन सामग्रियाँ २५ भाषाओं से अधिक प्रामाणिक कबला मूल पाठों पर आधारित हैं जो कि पीढ़ी दर पीढ़ी दी गईं थीं।

संदेश

बने बरूख़ विश्‍व भर में कई हज़ार विद्यार्थियों का विविध वर्ग है। प्रत्येक विद्यार्थी, अपनी व्यक्तिगत परिस्‍इथतियों और योग्यताओं के अनुसार, अपने स्वयं का मार्ग और भाव-प्रबलता का चयन करता है।

हाल ही के वर्षों में, समूह बढ़ कर एक संस्था बन गई है, स्वैच्छिक शैक्षिक प्रोजेक्टों में व्यस्त और यथार्थ कबला स्रोतों को वर्तमानकालीन भाषाओं में प्रस्तुत करती हुई। बने बरूख़ द्‍वारा संदेश को व्यापक रूप में फैलाने का तत्व लोगों की एकता, देशों की एकता और मानव प्रेम है।

सहस्त्राब्दी से, कबाली यह सिखाते आए हैं कि मानव प्रेम ई़ज्‍राइल के लोगों का आधार है। यह प्रेम अब्राहम, मोज़ि‍ज़ और जो उन्होंने कबालियों के समूह स्थापित किए के दिनों में प्रचलित था। मानव प्रेम ई़ज्‍राइल के लोगों को उल्लेखनीय उपलब्धियों की ओर धकेलता हुआ ईंधन था। समय के साथ जब मानव प्रेम निराधार घृणा में परिवर्तित हो गया, देश की अवनति निर्वासन और दु:ख में हो गई। यदि हम इन पुराने-किन्तु-नए मूल्यों के लिए स्थान बना लें, हम यह अविष्कार कर लेंगे कि हम अपने मनमुटावों को भूल जाने और एक होने की शक्ति रखते हैं।

सहस्त्राब्दी से गुप्त रखा गया, कबला बोध अब प्रकट हो रहा है। यह एक समय की प्रतीक्षा कर रहा था जब इसके संदेश को लागू करने के लिए हम पर्याप्त तरीके से विकसित और तैयार हो जाएँ। आज यह एक सन्देश और एक समाधान जैसे विकसित हो रहा है जो देशों के अन्द्रूनी और आपसी घटकों को जोड़ सके और हमारे सभी के लिए, जैसे व्यक्तियों और जैसे एक समाज, एक अधिक उपयुक्‍त दशा लाए।

इतिहास और उद्‍गम

राव माईकल लाइटमन, ओंटोलौजी और थियूरी ऑफ नौलिज के प्रोफेसर, फिलोसफी और कबला में पी.एच.डी. और मैडिकल बाइओ-साएबरनेटिक्स में एम.एस.सी., ने बने बरूख़ की स्थापना अपने शिक्षक राव बरूख़ श्लोम हलेवी अशलाग(रबाश) की मृत्यु के परिणामस्वरूप १९९१ में की थी।

राव लाइटमन ने अपने अनुभवी परामर्शदाता की यादगार में अपने समूह का नाम बने बरूख़ (बरूख़ के पुत्र) रखा, जिनका साथ उनके जीवन के अंतिम १२ वर्षों, १९७९ से १९९१ तक, उन्होंने कभी नहीं छोड़ा था। राव लाइटमन अशलाग के मुख्य विद्यार्थी व निजी सहायक थे, और रबाश की शिक्षा विधि के उत्तरधिकारी स्वीकार किए जाते हैं।

रबाश २०वीं सदी के महान्‌ कबाली रब्बाई यहुदा लेब हलेवी अशलाग के ज्येष्ट पुत्र और अधिकारी हैं। रब्बाई यहुदा अशलाग ़जौहर की किताब के सर्वश्रेष्ट अधिकारी और समझने योग्य टिप्पणी, सलाम टिप्पणी(सीढ़ी टिप्पणी) के लेखक हैं, जो कि अध्यात्मिक उन्‍नति के लिए एक पूर्ण विधि को प्रकट करती है।

बने बरूख़ अपनी सम्पूर्ण अध्ययन विधि का आधार इन महान्‌ अध्यात्मिक मार्गदर्शकों द्‍वारा बनाए गए मार्ग पर करता है।

कबला पाठ

सदियों से जैसे कबाली करते आए हैं और जैसे बने बरूख़ की गतिविधियों की मध्यभाग की सजावट, ई़ज्‍राइल में राव लाइटमन बने बरूख़ में सुबह ३:१५ से ६:०० ई़ज्‍राइल समय के बीच प्रतिदिन पाठ पढ़ाते हैं। पाठों को समकालीन सात भाषाओं में अनुवाद किया जाता है: अंग्रे़जी, रूसी, स्पैनिश, जर्मन, इताल्वी, फ्रेंच और तुर्की। निकट भविष्य में, प्रसारण यूनानी, पोलिश और पुर्तगाली में भी किया जाएगा। जैसे बने बरूख़ की सभी गतिविधियों के लिए सत्य है, सीधा प्रसारण ह़जारों विद्यार्थियों के लिए विश्‍व भर में नि:शुल्क प्रसारित किया जाता है।

धन उपलब्ध कराना

बने बरूख़ कबला बोध को सिखाने व बाटँने का एक लाभ-हीन संगठन है। अपने इरादों की स्वतंत्रता व शुद्धता को बरकरार रखते, बने बरूख़ सहायता, धन उपलब्धि या फिर किसी सरकार व राजनीतिज्ञ संस्था से बंधा नहीं है।

चूकिं इसकी गतिविधि का अधिकांश भाग नि:शुल्क प्रदान किया जाता है, समूह की गतिविधियों के लिए धन-राशि का मुख्य स्रोत विद्यार्धियों द्‍वारा स्वैच्‍इछा से दिया गया उनकी आमदन का दसवाँ भाग है। अतिरिक्‍त आमदन के स्रोत राव लाइटमन की किताबें हैं, जोकि लागत पर बिकती हैं, और दान हैं।



राव माईकल लाइटमन पी.एच.डी. के बार में

 

राव लाइटमन ने अपनी पी.एच.डी. फिलोस्फी और कबला में रशियन अकादमी ऑफ साईंसिज़ के मोस्को इनस्‍इटयूट ऑफ फिलोस्फी से, और मैडिकल साइबरनैटिक्स में अपनी एम.एस.सी. सेंट पीटरस्बर्ग स्टेट पोलीटेकनिक विश्‍वविद्यालय से प्राप्त की है। अपनी वैज्ञानिक व्यस्ताओं के अतिरिक्‍त , राव लाटमन पिछले तीस वर्षों से कबला में व्यापक तरीके से व्यस्त हैं। उन्होंने तीस से अधिक किताबें प्रकाशित की हैं, १२ भाषाओं से अधिक में कबला पर सैंकड़ों साहित्‍इयक लेख अनुवाद किए हैं, और १०,००० घंटों से अधिक वीडीओ/आडिओ द्‍वारा कबला पर लैक्चर दिए हैं।

लाइटमन की कबला के क्षेत्र में विस्तृत भागदानों ने उन्हें ओंटोलोजी एण्ड थियूरी ऑफ नौलिज में प्रोफेसर के नामलेख की प्राप्ती की ओर अग्रसर किया, जो रशियन फैडरेशन के प्रतिष्‍इठत इंटरडिस्पलनेरी अकादमिक अटैस्टेशन कमिशन द्‍वारा प्रदान की जाती है। इसके इलावा, राव लाटमन ने आधुनिक विज्ञान और कबला पर अनुपम शोध में प्रसिद्ध विज्ञानिकों के साथ सहयोग भी किया है, जैसे २००५ में वह इस विषय पर लिखी एक किताब में प्रोफेसर वादिम रोज़न के सह-लेखक हैं। प्रोफसर वादिम रोज़न लोमोनोसोव मोस्को स्टेट विश्‍वविद्यालय, रशियन अकादमी ऑफ साईंसिज़ में स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ हयुमन साईंसिज़ में प्रोफेसर हैं।