BNEI BARUCH WORLD CENTER FOR KABBALAH STUDIES

कबला हमारे समय में

अध्यात्मिकता, कबला और २१वीं शताब्दी

* अध्यात्मिकता क्यों?

कबालियों ने खोज की है कि हमारे आनंद के लिए, इच्छाएँ पाँच चरणों में क्रमिक रूप से विकसित होतीं हैं:-

• पहली, और सबसे मूल की इच्छा, भोजन, स्वास्थ्य, लिंग और परिवार के लिए है। यह हमारे अस्‍तित्व के लिए आवश्यक इच्छाएँ हैं।

• दूसरा चरण धन के लिए अभिलाषा है। यहाँ हम सोचते हैं कि पैसा अस्‍तित्व और एक उत्तम जीवन की गारंटी देता है।

• तीसरा आदर और शक्‍ति के लिए लालसा है। यहाँ हम दूसरों को और साथ ही खुद को नियंत्रण में रखने का आनंद लेते हैं।

• चौथे चरण में ज्ञान की इच्छा प्रकट होती है। यहाँ हम सोचते हैं कि ज्ञान होने से हमें खुशी होगी।

• लेकिन जब केवल पाँचवीं और अंतिम चरण की इच्छा प्रकट होती है, हम एक अज्ञात "कुछ" जो हमसे परे है की और आकर्षित हो जाते हैं। यहाँ हम महसूस करते हैं कि इस अज्ञात "कुछ" के साथ जुड़ जाने से, यह हमारे लिए अधिक और स्थायी भोग लेकर आ सकता है, और हम इस सम्बन्ध को बनाने के तरीकों की खोज करने लगते हैं। कुछ महान्‌ के लिए इस इच्छा को, "अध्यात्म इच्छा" कहते हैं।

* कबला क्यों?

एक व्यक्‍ति जिसे एक अध्यात्म इच्छा है उस व्यक्‍ति से भिन्‍न है जो सांसरिक और मानवीय पूर्तियों( इच्छा चरणों में १ से ४ तक उपरोक्‍त लिखीं इच्छाएँ) को ढूँढता है। हम पहले से जानते हैं अपनी सांसरिक और मानवीय ज़रूरतों को कैसे पूरा करना है, परन्तु जब अध्यात्म इच्छा जागृत होती है, हम कताई नहीं जानते कि इसे शांत कैसे करना है।

अधिकांश लोग अध्यात्म इच्छा के होते हुए भी आज जागरूक नहीं कि उन्हें यह इच्छा है। इनमें से कुछ लोग तो अध्यात्म इच्छा के होते "अध्यात्मिकता" शब्द से ही घृणा करते हैं, यह सोचते हुए कि यह इच्छा कुछ असत्य और अकार्यान्‍नित है। ऐसे लोग अपने जीवन को खाली खाली और बिना उद्देश्य के महसूस करते हैं, ना जानते हुए कि यह उनमें इस नई और ज़्यादा क्रमिक रूप से विकसित अध्यात्म इच्छा के कारण है। वह बेख़बर हैं कि जीवन में असंतोष और असंतुष्‍टि का कारण यही है।

बच्चों जैसे, बहुत से लोग स्वयं से पूछ्ते हैं, "मैं किस लिए जी रहा हूँ?" परन्तु जैसे जैसे वर्ष गुज़रते जाते हैं, हम इच्छाओं और प्रलोभन से भरमार होते जाते हैं जो हमें इस प्रश्‍न से मोड़ देती हैं और एक यथार्थ उत्तर ढूँढने की आवश्यकता को क्षीण कर देती हैं।

फिर भी, किसी बिंदु पर, अध्यात्म इच्छा जागरूक होती है और इसके साथ साथ प्रश्‍न भी। जो उत्तरों को ढूँढने का आग्रह करते हैं, वह कबला में आते हैं, जो उनके उत्तरों को देने के लिए ही विशेष रूप से तैयार की गई थी।   

* अब क्यों?

ज़ौहर ने व्यक्‍त किया है कि कबला बोध विशेष रूप से हमारे युग में प्रकट होगा। यह इसलिए क्योंकि लोगों की इच्छाएँ क्रमिक रूप से विकसित होगीं और अध्यात्मिक पुर्ति-प्रमाण, समझ और वर्तमानकालीन जीवन से परे एक शान्तिमय जीवन की अनुभूति की माँग आरम्भ कर देंगी और इस पुर्ति को पूरा करने के लिए केवल कबला बोध ही योग्य होगा।