कबला बोध कहाँ से प्राप्त हुआ है और इसके क्या स्रोत हैं?
कबला-विज्ञान अनुपम है, इस प्रकार से कि यह आपके और मेरे विषय में चर्चा करता है, हमारे सब के विषय में। यह किसी अमूर्त से संबंध नहीं रखता, केवल जिस तरीके से हमारी सृष्टि हुई है, और कैसे हम उच्च स्तरों के अस्तित्व पर कार्य करते हैं।
इसके विषय में कई काबलिक पुस्तकें लिखी जा चुकी हैं। अब्राहम, आदरणीय वृद्ध पुरूष, से आरम्भ होते चार हज़ार वर्ष पुर्व, जिन्होंने एक पुस्तक लिखी, शीर्षक था, सफर यतज़ीरा(सृष्टि की पुस्तक)।उसके पश्चात् महत्वपूर्ण काम दूसरी शताब्दी (सी.ई.) में लिखी ज़ौहर की पुस्तक है। ज़ौहर का अनुग्रहण १६वीं शताब्दी के एक यशस्वी कबाली अरी के कामों ने किया है और २०वीं शताब्दी ने कबाली यहूदा अशलाग के कामों को प्रकट होते देखा।
हमारी पीढ़ी के लिए अशलाग के मूल पाठ सर्वश्रेष्ट तरीके से उचित हैं। यह और दूसरे काबलिक स्रोत ऊपरी संसारों की रचना का वर्णन करते हैं कि कैसे वह नीचे उतरे और कैसे हमारा ब्रह्माण्ड, प्रत्येक और सभी वस्तुयों के साथ जो इसमें हैं, अस्तित्व में आया। यहूदा अशलाग की पाठ्यपुस्तक टालमड ऐसर सफीरौट-- दस सफीरौट का अध्ययन प्रश्नों, उत्तरों, दोहराने के लिए सामग्रियों और व्याख्याओं के साथ एक सहायक अध्ययन जैसी रुपरेखा में बनाया गया है। यह, अगर आप चाहें, ऊपरी संसारों का भौतिक-विज्ञान है, अध्यात्मिक क्षेत्र पर ब्रह्माण्ड का नियंत्रण करते विधियों और शक्तियों का वर्णन करता हुआ।
यह सामग्री विद्यार्थियों का धीरे- धीरे रुपांतरण करती है, क्योंकि अध्यात्मिक संसार को कैसे अनुभव करना है कि खोज करते हुए, व्यक्ति धीरे- धीरे अपने आप को पाठ्य पुस्तकों में वर्णन किए जा चुके अध्यात्मिक विधियों में ढाल लेता है।
कबला-विज्ञान इस संसार में जीवन से संबंध नहीं रखता है। बदले में, इस प्रणाली का अध्ययन करते हुए, अवनति से पूर्व प्राप्त स्तर को हम पुन: पा लेते हैं। इस उन्नति के दौरान, कबला का अध्ययन विद्यार्थी के भीतर अध्यात्मिक प्रणाली के बराबर एक प्रणाली का निर्माण करता है।
मूल पाठ में से अध्यात्मिक लाभ निश्इचत कर लेने के लिए , हम बने बरुख़ में केवल प्रामाणिक स्रोतों का अध्ययन करते हैं, उन्हीं पर केन्द्र करते हुए जो विद्यार्थी की अध्यात्मिक उन्नति में सहायता करने के प्रयोजन से लिखे गए हैं। यह स्रोत हैं:-
¨ ज़ौहर की पुस्तक
¨ अरी की रचनाएँ
¨ रब्बाई यहूदा अशलाग की रचनाएँ
अधिकतर भाग, हम रब्बाई यहूदा अशलाग की रचनाओं पर ध्यान देते हैं, क्योंकि उनके मूल पाठ हमारी पीढ़ी के लिए सर्वश्रेष्ट तरीके से उचित हैं।