BNEI BARUCH WORLD CENTER FOR KABBALAH STUDIES

मैं बुरा क्यों महसूस करता हूँ?

दु:ख हमें आगे की ओर धकेलता है। चाहे हम अवसाद-ग्रस्त हो जाएँ,या ख़ालीपन या भ्रमित अनुभव करें,यह सभी बुरी भावनाएँ हमें इनके कारणों व उद्देश्‍यों के बारे में सोचने के लिए ही प्रकट होती हैं।

इस संसार में,हम वास्तविकता की केवल बाहरी सतह देखते हैं।हम यह नहीं देखते कि प्रकृति,समाज,व्यक्‍ति या ब्रह्मांड के पीछे क्या है, और हम इनमें किसी को भी नियंत्रित नहीं कर सकते।

जैसे कि कशीदाकारी में,जोड़ और सूत्र चित्र में सभी भागों का प्रवाह करते चित्र की केवल विपरीत दिशा में देखे जा सकते हैं। इसी तरह,हम अपनी वास्तविकता में घटनाओं के बीच संपर्कों को नहीं देखते;हम केवल यह देखते हैं कि,"किसी कारणवश कुछ अचानक घट गया।

मैं अपने कर्मों के परिणामों को कैसे जान सकता हूँ? अचानक ही,मुझे एक आघात लगता है और मैं नहीं समझ पाता कि ऐसा क्यों हुआ या यह कहाँ से आया।" मैं कहाँ गलत था?" "मैने क्या किया कि इसका सुपात्र बना?" और यहाँ तक कि,"इस सब का विचार-बिंदु क्या है"?

कोई भी,जैसे भी वह ठीक समझे,अपने स्वंय के दु:ख और दूसरों के दु:खों के कारणों की व्याख्या कर सकता है।परन्तु हर कोई सहमत है कि दु:ख हमें उनके उद्देश्‍यों व उनके कारणों की सोच में डाल देते हैं,जो कबला की दृष्‍टि से, एक ही बात है।

कबला-विज्ञान व्यक्‍त करता है कि सभी दु:खों का केवल एक ही कारण है-कि हम उन के अर्थ के बारे में पूछें।तब हम इन प्रश्‍नों का उपयोग,स्वयं को सांसारिक अस्तित्वता के स्तर से उपर उठाने से-जहाँ कारण छुपे हैं,अस्तित्वता के एक उच्च स्तर तक-जहाँ दु:ख के कारण प्रकट होते हैं,कर सकते हैं।

कबला-विज्ञान हमें एक अवसर प्रदान करता है,वह है:जीवन का एक स्रोत है-उच्च प्रकाश या सृजनकर्ता,इस की खोज करनी-और इस स्रोत के साथ आंसजन प्राप्‍त करना। ऐसे प्रश्‍न जैसे कि दु:ख के स्रोत के बारे में,पीड़ा का उद्देश्‍य और जीवन का अर्थ,व्यक्‍ति को कबला में लाते हैं।